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ekaurshayar
Beginner Level 3

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कोई नहीं था घर से बाहर, उस दिन कोहरा पूरा छाया था, फिर भी दिलबर मेरे मंगल, मैं तुम्हें देखने भरी ठंड में आया था ..सुनसान राहें थी, और था सुनसान जंगल,न आदमी दिखा, न दिखी आदमी की शक्ल ।तब भी भटकता था सनम के दीदार को,यहां से वहां, हर जगह सिर्फ तुम्हारा ...
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