pavanyaduraj
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03-26-2020 07:44 AM in
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जो तुम आ जाते एक बार
कितनी करुणा कितने सँदेश,
पथ में बिछ जाते बन पराग,
गाता प्राणों का तार-तार
अनुराग-भरा उन्माद-राग;
आँसू लेते वे पद पखार !
जो तुम आ जाते एक बार !
हँस उठते पल में आर्द्र नयन
घुल जाता ओठों से विषाद,
छा जाता जीवन में वसंत
लुट जाता चिर-संचित विराग;
आँखें देतीं सर्वस्व वार |
जो तुम आ जाते एक बार !
- महादेवी वर्मा
अमूर्त को काव्य में मूर्त रूप देने वाली अमर शिल्पी छायावाद की लघुत्रयी में शामिल, आधुनिक युग की 'मीरा' के नाम से प्रसिद्ध लोकप्रिय कवियित्री महादेवी वर्मा को उनके जन्मदिवस पर सादर प्रणाम🙏
1 Comment
pavanyaduraj
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03-26-2020 01:46 PM in
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thanks 😊